विद्युत ठेकेदार द्वारा शासन से छल करने पर सश्रम कारावास*

विवेक मालवीय

राजगढ। जिला न्यायालय राजगढ में पदस्थ प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री महेश कुमार माली के द्वारा आरोपी/ठेकेदार चंदर सिंह को सत्र प्रकरण क्रमांक 123/18 धारा 420, 467, 468, 471 भा.द.वि. के प्रकरण में तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2,000/-रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ ने की है।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 09.10.2017 को फरियादी कार्यपालन यंत्री लाईट एवं मशीनरी जल संसाधन विभाग भोपाल ने आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमे राजगढ मोहनपुरा परियोजना के बासखेडी, एवं राजलीबे पुनर्वास कॉलोनी हेतु विधुतिकरण का कार्य ठेकेदार चंदरसिंह पिता रामलाल परिहार को सामग्री सहित आवंटित किया गया था जिसका कुल ठेका मूल्य 48 लाख रूपये था। जिसके तहत चंदरसिंह परिहार द्वारा उक्त कार्य की सामग्री एवं बीम हार्ड वेयर सामग्री प्रदाय कर कार्यस्थल पाटन रोड पर रखवाया गया था। ठेकेदार से सामग्री प्राप्त होने पर प्रथम देयक 671412 रूपये एवं 1164604 रुपये कुल 1832020 रूपये का भुगतान 22.03.2016 को दिया गया था। रिपोर्ट पर अपराध पंजीबद्व कर अनुसंधान किया गया। अनुसंधान के दौरान यह पाया गया कि आरोपी चंदरसिंह ने विद्युतीकरण कार्य हेतु खरीदे गये सामान एचवी केबल 93 नग 11-11 मीटर के तथा आरएस ज्वॉइंट अलग अलग साइजों के 128 नग तथा 10 नग निर्माण स्थल से हटा दिया और विभाग में एक फर्जी रसीद प्रस्तुत कि की उसने उक्त सामग्री एसडीओ, भास्कर सक्सेना को दी है। हस्तलेख विशेषज्ञ की रिपोर्ट में अभियुक्त द्वारा प्रस्तुत रसीद पर एसडीओ, भास्कर सक्सेना के हस्ताक्षर होना नही पाये गये। तब जल संसाधन विभाग के मुख्यालय भोपाल से प्राप्त निर्देशों के पालन में कार्यपालन यंत्री नंदराम सौलंकी, विद्युक यांत्रिकी लाईट मशीन डिविज़न, भोपाल के द्वारा थाना कोतवाली में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया जिसके आधार पर थाना राजगढ में अपराध क्रमांक 525/17 पंजीबद्ध किया गया। विभाग के सभी अधिकारी/कर्मचारियों के बयान लिये गए, और अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण में विचारण के दौरान प्रकरण में भारसाधक विषेष लोक अभियोजक श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोजन की ओर प्रकरण के महत्वपूर्ण 08 गवाहों के न्यायालय में कथन कराये और तर्क प्रस्तुत किये। विचारण उपरांत माननीय न्यायालय ने अभियुक्त चंदर सिंह पिता रामलाल पडालिया को धारा 420/406 धोखाधडी और विभाग से छल करने और आपराधिक न्यासभंग के अपराध में 2 वर्ष एवं 1000/-रू जुर्माना तथा धारा 471 कूट रचित दस्तावेजों ( फर्जी रशीद ) का असली के रूप में उपयोग मे लाना के अंतर्गत कुल 1 वर्ष एवं 1000/- जुर्माना के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। माननीय न्यायालय द्वारा दी गई सजा पर्याप्त नहीं है। अभियुक्त का कृत्य 10 वर्ष के कारावास से दण्डनीय अपराध है। इस कारण सजा वृद्धि हेतु माननीय उच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत की जावेगी।

_*अब अभियुक्त होगा ब्लैकलिस्टेड*_

अभियुक्त की अनियमितताओं के कारण उसे विद्युत विभाग ने विद्युतीकरण कार्य के लिये ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। जिससे क्षुब्ध होकर अभियुक्त चंदर ने माननीय उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन प्रस्तुत कर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की शिकायत करते हुए ब्लैक लिस्टेड सूची से बाहर करने की मांग की गई थी। जिसे माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। किन्तु जांच के दौरान अभियुक्त द्वारा प्रस्तुत माल जमा रशीद उसके गले की फांस बन गई, और उसके आधार पर उसे दण्डित किया गया है। अब विभाग द्वारा पुनः अभियुक्त को दिये गए दण्डादेश के आधार पर ब्लैक लिस्टेड किये जाने की कार्यवाही की जावेगी।

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